लंबाई देख खिलाएंगे फाइलेरिया की दवा



  • तैयारी 
    •    25 नवंबर से 10 दिसंबर तक चलेगा अभियान
    •    उत्तर प्रदेश के 19 जनपदों में चलेगा अभियान


प्रयागराज। फाइलेरिया अभियान के इस चरण में इस बार लंबाई और उम्र  के आधार पर दवा खिलाई जाएगी। गत वर्ष हमारे देश के विभिन्न प्रदेशों के 5 जनपदों में ट्रिपल ड्रग थेरेपी कार्यक्रम चलाया गया था जिसमें उत्तर प्रदेश में यह दवा सिर्फ वाराणसी जनपद में फरवरी 2019 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत खिलाई गई थी। इसके बहुत सार्थक परिणाम मिले हैं। यह कहना है राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ वीपी सिंह का।
डॉ सिंह ने मंगलवार को दूरभाष के जरिये बताया कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में सर्वे के दौरान पाया गया है कि 9 से 21 प्रतिशत स्वस्थ व्यक्तियों में  फाइलेरिया के कृमि (माइक्रो फाइलेरिया) पाए गए हैं वह लोग 10 से 15 वर्ष बाद फाइलेरिया से ग्रसित हो सकते हैं जिसका कोई इलाज नहीं हैl यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है और इसके लक्षण 10 से 15 वर्ष बाद सामने आते हैं। इसलिए दो वर्ष से ऊपर के हर व्यक्ति को फाइलेरिया की दवा अवश्य खानी चाहिए। उत्तर प्रदेश में फाइलेरिया अभियान शिव चतुर्दशी यानि 25 नवंबर से शुरू होकर 10 दिसंबर तक चलेगा। उन्होने बताया कि प्रदेश के 19 जनपदों को दो हिस्सों यानि ट्रिपल ड्रग (आईडीए ) और डबल ड्रग में बांट दिया गया है। ट्रिपल ड्रग के अंतर्गत 11 जिले कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव, सीतापुर, प्रयागराज, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, चंदौली, फतेहपुर और हरदोई हैं। वहीं डबल ड्रग के अंतर्गत 8 जनपद कौशांबी, रायबरेली, सुलतानपुर, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज और गाजीपुर हैं। 
डॉ सिंह ने बताया कि सभी 19 जिलों में साढ़े छह करोड़ से ऊपर की आबादी को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए 65 हजार से अधिक टीम कार्य करेंगी।  बाकी के 31 एंडेमिक जनपदों में यह कार्यक्रम 17 फरवरी से चलाया जाएगा l गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से देश को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए वर्ष 2021 निर्धारित है। 
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी नोडल अधिकारी फाईलेरिया डॉ.विमलकांत वर्मा  ने बताया की कार्यक्रम के सफलता पूर्वक  क्रियावान के लिए जिला स्तरीय प्रशिक्षको का प्रशिक्षण किया जा चुका है और जल्द ही सर्वे का कार्य पूरा कर लिया जायेगा प्रचार प्रसार के लिए  स्कूलों में गोष्ठी निबन्ध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है तथा जनपद स्तरीय प्लान तैयार कर कार्य किया जायेगा |  
  
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फाइलेरिया ग्रस्त मरीज को बुखार आना, शरीर में खुजली होना, हाथी पांव होना, अंडकोश मे  सूजन आना आदि कुछ समान्य लक्षण होते हैं। अधिकांश मरीजों में इसका संक्रमण बचपन से ही आता है। लेकिन कई वर्षों तक इसके लक्षण पता नहीं चल पाते हैं। डॉ सिंह ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित मरीज को डबल ड्रग के जरिये ठीक होने में 5 से 6 वर्ष लग जाते हैं। जबकि ट्रिपल ड्रग के जरिये दो से तीन वर्ष में ही मरीज स्वस्थ हो जाता है।


वानीला फ्लेवर में होगी दवा


डॉ वीपी सिंह के अनुसार ट्रिपल ड्रग वाले में जिलों में एल्बेण्डाजोल, डीईसी और आईवरमेक्टिन खिलाई जाएगी। फाइलेरिया अभियान के दौरान दी जाने वाले एल्बेण्डाजोल टैबलेट का फ्लेवर वनीला होगा। जबकि डबल ड्रग वाले जिलों में एल्बेण्डाजोल, और डीईसी खिलाई जाएगी। एल्बेण्डाजोल टैबलेट चबाकर खाना है जबकि डीईसी और आईवरमेक्टिन को पानी से खाना है।  माइक्रोफाइलेरिया से ग्रसित मरीज में दवा खाने के बाद उल्टी, खुजली और जलन की समस्या आम बात है। समान्यतः यह समस्या दो प्रतिशत मरीजों में आती है। उन्होने बताया कि यह दवा दो साल उम्र से ऊपर के लोगों को ही देनी है। जबकि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नहीं खिलानी है।



  • अभियान की रणनीति
    फाइलेरिया अभियान में सहयोग कर रही संस्था पीसीआई के स्टेट हेड ध्रुव सिंह ने बताया कि अभियान के पहले से फाइलेरिया बीमारी के बारे में समाज के विभिन्न वर्ग को अलग-अलग तरीके से जागरूक किया जा रहा है। मदरसे और अन्य स्कूलों में बच्चे रैली निकाल रहे हैं। वहीं स्कूलों में इस बीमारी पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है साथ ही प्रार्थना सभा में बच्चे शपथ ले रहे हैं। इसमें एनसीसी, स्काउट और नेहरू युवा केंद्र के बच्चे भी शामिल हैं। ग्राम स्तर पर किसान पाठशाला में जागरूक किया जा रहा है वहीं ग्राम प्रधानों से गोष्ठी, उद्घाटन आदि में सहभागिता पर ज़ोर दिया जा रहा है। साथ ही ब्लॉक स्तर प्रधानाचार्यों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसमें कई स्वयं सहायता समूहों की भूमिका सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और व्यापार मण्डल भी अपनी तरफ से अपील करेंगे।
    बचाव
    •    मच्छरों से बचाने के लिए विशेष ध्यान दें
    •    आस-पास साफ पानी भी इकट्ठा न होने दें 
    •    पानी न हटा पाएं तो उसमें केरोसीन दाल दें 
    •    चोट या घाव वाले स्थान को हमेशा साफ रखें
    •    पूरी बाजू का कपड़ा पहने और साफ-सफाई रखें 
    •    सोते वक्त हाथ व पैर सरसों या नीम का तेल लगा लें